Chandigarh Prison

अब जेल से भी मंगवा सकेंगे लजीज खाना, अॉनलाइन बुकिंग के बाद होगी होम डिलीवरी

चंडीगढ़ [अमित कुमार गुप्ता]। अब आप होटलों की तरह जेल से भी कैदियों के हाथ का बना लजीज खाना मंगवा सकते हैं। इसके लिए न आपको जेल जाना पड़ेगा और न ही ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। चंडीगढ़ की बुड़ैल मॉडल जेल ने यूटी के लोगों के लिए यह सुविधा शुरू की है। इसके लिए सिर्फ आपको बुडै़ल मॉडल जेल की वेबसाइट पर लॉग इन करना है। उसके बाद अपने मनपसंद के अलग-अलग व्यजंन बुक करने हैं।

व्यंजन बुक करने के बाद जेल स्टाफ आपके घर खाना पहुंचा देगा। पैसे भी खाना घर पहुंचने के बाद ही लिए जाएंगे। जेल प्रशासन ने व्यंजनों के लिए स्पेशल मेन्यू भी तैयार किया है। मेन्यू में स्पेशल थाली समेत गुलाब जामुन, बालूशाही, बेसन बर्फी गुलाब जामुन समेत कई मिठाइयां भी शामिल हैं।

यह देश की एकमात्र मॉडल जेल की वेबसाइट है, जिस पर आप मनचाहा खाने का ऑर्डर दे सकते हैं। जेल प्रशासन के अनुसार इसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ कैदियों को रोजगार देना है, जिससे वह बाहर निकलकर फिर से आपराधिक वारदातों को अंजाम न दें। इसकी शुरुआत चंडीगढ़ के आईजी जेल, डॉ. ओपी मिश्र ने की है।

मिठाइयों के भी रेट तय

वेबसाइट की शुरुआत करीब डेढ़ महीने पहले हुई थी। उसमें सभी व्यंजनों के अलग-अलग रेट दिए गए हैं। जैसे स्पेशल थाली, 150 रुपये, लड्डू 114 रुपये, बालूशाही 114, गुलाब जामुन 190, बेसन बर्फी 142 रुपये किलो का रेट दिया गया है। इस रेट में जीएसटी भी शामिल किया गया है।

जेल प्रशासन ने वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन खाना बुक कराने की सुविधा से लेकर होम डिलीवरी तक का पूरा ख्याल रखा है। उसमें खाना बुक कराने के कुछ समय बाद ही आपको होम डिलीवरी कर दी जाएगी। इसके लिए जेल प्रशासन अपने कर्मचारियों से उनकी होम डिलीवरी करवाएगा। फिलहाल प्रशासन ने अभी दो मोटरसाइकिल से होम डिलीवरी करवा रही है, काम बढ़ जाने के बाद इनकी संख्या बढ़ा दी जाएगी। खाने के गर्म रहने की गारंटी भी जेल प्रशासन दे रहा है।

कैदियों को दी जाती है ऑनलाइन पेंमेंट

चंडीगढ़ के आइजी जेल डॉ. ओपी मिश्र ने बताया कि वेबसाइट में ऑनलाइन खाना बुकिंग के लिए डेढ़ महीने का प्रोसेस लग गया। इस दौरान कैदियों को भी ट्रेंड किया गया। अब कैदी अलग-अलग व्यजंन बनाने में जेल प्रशासन के लिए काम करते हैं। जो कैदी जितना काम करता है, प्रशासन उनके बैंक अकाउंट में उस हिसाब से ऑनलाइन पेंमेंट कर देता है।

मिश्र का कहना है कि जेल प्रशासन ने कैदियों को काम देने के लिए इसकी शुरुआत की है। इससे कैदियों का लगातार काम में मन लगा रहेगा। कैदी सजा काटकर जब बाहर निकलता है तो उनके पास कोई काम नहीं रहता, जिस कारण वह दोबारा से क्राइम करने लग जाते हैं। इसी वजह से उन्हें ट्रेंड किया जा रहा है ताकि वह बाहर जाकर खुद का काम कर सके।

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