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J&K: जिन गांवों में जवानों पर बरसते थे पत्‍थर, अब हो रहा है चाय-नाश्‍ते से स्‍वागत

जम्‍मू-कश्‍मीर में राज्‍यपाल शासन लागू होते ही घाटी की हवाओं ने अपना रुख बदल लिया है. घाटी की इस बदली हुई हवा की बानगी J&K में राष्‍ट्रपति शासन लागू होने के बाद सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए सर्च ऑपरेशन के दौरान देखने को मिली. दरसअल, बुधवार सुबह आतंकियों की तलाश में सुरक्षाबलों ने घाटी के कुछ गांवों में सर्च ऑपरेशन चलाया था. सर्च ऑपरेशन के दौरान पहली बार सुरक्षाबलों के जवानों को न ही किसी तरह के विरोध का सामाना करना पड़ा और न ही किसी तरह की पत्‍थरबाजी झेलनी पड़ी. जवानों के अचंभे का उस वक्‍त कोई ठिकाना नहीं रहा, जब गांव वालों ने जवानों को सामने चाय और नाश्‍ते की पेशकश रख दी. जम्‍मू-कश्‍मीर में सालों से तैनात सुरक्षाबलों के सामने पहली बार ऐसा मौका आया था, जब‍ घाटी के गांव वाले बिना किसी डर के इतनी सहृदयता से उनके साथ पेश आए हों.

सुरक्षाबलों से जुड़े वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार बुधवार सुबह सूचना मिली थी कि कुछ आतंकी दक्षिण और उत्‍तरी कश्‍मीर के दो गांवों में छिपे हुए हैं. इंटेलीजेंस इनपुट में जिन दो गांवों के नाम का उल्‍लेख किया गया था, वे दोनों गांव दशकों से हिंसा के लिए बदनाम रहे हैं. सुरक्षाबलों का अनुभव भी इन गांवों को लेकर अच्‍छा नहीं था. अपने पुराने अनुभवों को ध्‍यान में रखते हुए सुरक्षाबलों ने इन गांवों की तरफ रवानगी से पहले सभी एहतियाती बंदोबस्‍त पूरे किए. सुरक्षाबलों को आशंका थी कि सर्च ऑपरेशन के दौरान उन्‍हें भारी पत्‍थरबाजी का समाना करना पड़ सकता है. लिहाजा, जवानों को कई टीमों में बांट दिया गया. कमांडो और स्‍नाइपर्स का चुनाव ऑपरेशन टीम के लिए किया गया. इसके अलावा, दूसरी टीम को इलाके के घेरेबंदी की जिम्‍मेदारी दी गई. वहीं तीसरी टीम की जिम्‍मेदारी थी कि वे किसी भी सूरत में पत्‍थरबाजों को ऑपरेशन एरिया में दाखिल नहीं होने देंगे.

इतना ही नहीं, सैकड़ों जवानों को रि-इर्फोसमेंट के लिए दोनों गांवों से कुछ दूरी पर रिजर्व कर दिया गया. जिससे पत्‍थरबाजी होने पर पत्‍थरबाजों की घेरेबंदी कर अपने जवानों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके. गांव में दाखिल होने से पहले जवानों ने आखिरी बार अपनी तैयारियों का जायजा लिया और एक-एक करके सुरक्षाबलों के काफिले की बख्‍तरबंद गाड़ियां गांव में दाखिल होने लगी. बख्‍तरबंद गाड़ियों में मौजूद जवान सड़क के दोनों तरफ मौजूद लोगों के हवाभाव पड़ने की कोशिश में लग गए. इस दौरान, गांव वालों के चेहरे पढ़कर उन्‍हें आभास हुआ कि गांव वालों की निगाहों में सुरक्षाबलों के आगमन को लेकर एक प्रश्‍नचिन्‍ह जरूर था, लेकिन किसी के चेहरे पर आक्रोश नजर नहीं आ रहा था.

सुरक्षाबलों को लगा, हो सकता है यह तूफान से पहले की खामोशी हो. लिहाजा, सुरक्षाबल अधिक चौकन्‍ना हो गए. सुरक्षाबलों का काफिला गांव के एक हिस्‍से में रुक गया और गाड़ियों से एक-एक करके जवान बाहर आने लगे. हर जवान की आंखे उनके तरह आने वाले लोगों की तरफ टिकी हुई थी. योजना के अनुसार टीमों का बंटवारा हुआ और ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम गांव की गलियों में दाखिल हो गई. इस बीच, सभी जवानों ने महसूस किया कि लोग बिना विरोध उन्‍हें रास्‍ता दे रहे थे. योजना के तहत सुरक्षाबलों ने गांव में अपने सर्च ऑपरेशन को शांतिपूर्वक तरीके से पूरा किया. सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों को किसी भी तरह का विरोध देखने को नहीं मिला.

सर्च ऑपरेशन खत्‍म होने के बाद जब जवान अपने काफिले की तरफ वापस जा रहे थे, तभी कुछ गांव वाले जवानों के पास पहुंचे. उन्‍होंने बेहद सहृदयता से जवानों से कहा ‘सर, चाय-नाश्‍ता करके जाइयेगा.’ गांव वालों की यह बात सुरक्षाबलों के दिल को छू गई. उन्‍हें पता था कि गांव वालों के लिए इतने जवानों का चाय-नाश्‍ता कराना आसान नहीं है. लिहाजा, उन्‍होंने गांव वालों का धन्‍यवाद दिया. गांव वालों की पेशकश का मान रखते हुए कुछ जवानों ने उनसे पानी मांग कर पिया और अपने काफिले की तरफ बढ़ गए.

अपने काफिले में सवार होने से पहले सर्च ऑपरेशन टीम को लीड कर रहे एक अधिकारी ने गांव वालों से कहा कि किसी भी तरह की मदद के लिए वह सुरक्षाबलों को याद कर सकते हैं. सुरक्षाबलों की कोशिश होगी कि वे उनकी हर संभव मदद कर सकें. इसी बीच खेलते हुए गांव के कुछ बच्‍चे वहां पहुंच गए. सुरक्षाबल के एक अधिकारी ने जेब से कुछ रुपए निकाले और एक गांव वाले को देखकर बोले कि इन बच्‍चों को अच्‍छी सी मिठाई खिला देना. इसके बाद, एक नए अनुभव के साथ सुरक्षाबलों का काफिला अपने बेस कैंप की तरफ कूच कर गया.

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