किस सामान पर जीएसटी कितना कम हुआ है और वो इस समय शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं।
चंडीगढ़.गुड्स एंड सर्विस (जीएसटी) पर दावे बड़े-बड़े, कागजी ऑर्डर भी लेकिन काम जीरो। लोगों को पता ही नहीं है कि किस सामान पर जीएसटी कितना कम हुआ है और वो इस समय शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि प्रशासन के फूड सप्लाइज एंड कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट ने रविवार को नेशनल कंज्यूमर डे के मौके पर एक अवेयरनेस ईवेंट कंज्यूमर एसोसिएशन चंडीगढ़ के साथ मिलकर किया। इसमें डिपार्टमेंट ने ईवेंट में हिस्सा लेने वाले लोगों को उस सामान की लिस्टें भी प्रोवाइड करवाई जिस पर जीएसटी 28 परसेंट से कम होकर 18 परसेंट हुआ है। लेकिन जिस डिपार्टमेंट पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है, यानी एक्साइज एंड टैक्सेशन की, वो अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है।
किसान भवन में करवाए गए इस ईवेंट में कई एक्सपर्ट भी पहुंचे जिन्होंने लोगों के सवालों के जवाब दिए। ज्यादातर सवाल यही किए गए कि जीएसटी किस पर कम हुआ है। ये पता नहीं है और दुकानदार बताते नहीं तो कंज्यूमर को जीएसटी कम होने का फायदा कब मिलेगा। वहीं कंज्यूमर एसोसिएशन ने मांग रखी है कि शहर की हर दुकान के बाहर लिस्ट होनी चाहिए।
जीएसटी का फायदा कब मिलेगा, दुकानदार बताते नहीं है न ही बिल देते हैं?
– कंज्यूमर को अवेयर कर रहे हैं। प्रशासन अगले हफ्ते से चेकिंग भी शुरू करने जा रहा है। किसी को शिकायत है तो वो हेल्पलाइन पर शिकायत कर सकते हैं। कुछ कंपनियों ने रेट कम किए भी हैं। फूड सप्लाइज एंड कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट इसी हफ्ते से चेकिंग का प्रोसेस भी शुरू करेगा।
जीएसटी कम हुआ है इसके बारे में कैसे जानकारी मिलेगी?
-प्रशासन हर दुकान के बाहर टैक्स कम होने की लिस्ट लगवाएगा। साथ ही कंज्यूमर एसोसिएशन खुद रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनों के साथ मिलकर अवेयरनेस करेगी।
मूवी देखने जाते हैं तो वहां पर सॉफ्ट ड्रिंक ग्लास में मिलती है न कि एमआरपी लगी बोतल पर। वो भी कहीं ज्यादा महंगी। ऐसे में क्या करें?
-ऐसा कुछ नहीं है। पहले वैट 30 परसेंट लगता था जबकि अब 28 परसेंट हो गया है। इस हिसाब से रेट में कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है ये बस लोगों को लग रहा है।
हाउसिंग बोर्ड में 1000 रुपए का फॉर्म मकान ट्रांसफर करने को लेकर देता है और 18 परसेंट जीएसटी। ये फार्म फोटोकॉपी करवा कर सस्ते में भी दिया जा सकता है इसको लेकर क्या करना चाहिए?
-कंज्यूमर एसोसिएशन प्रशासक से इसको लेकर मिलेगी और इसको कम करने के लिए प्रशासन से मांग की जाएगी।
एमआरपी कहीं पर कम तो कहीं पर किसी चीज पर ज्यादा क्यों होती है और ये सिस्टम कब खत्म होगा?
-1 जनवरी के बाद से सभी जगह पर एक सामान पर एक ही एमआरपी होगी।
दवाइयों पर पहले डिस्काउंट मिल जाता था लेकिन अब जीएसटी कहकर डिस्काउंट नहीं मिलता?
-ये बात ठीक है कि जीएसटी के नाम पर दवाइयों के विक्रेताओं ने डिस्काउंट देना बंद कर दिया है या कम कर दिया है। लेकिन दवाइयों पर टैक्स नहीं बढ़ा है। पहले देखने में लगता था क्योंकि इसमें वैट 5 परसेंट था 6 परसेंट के करीब एक्साइज ड्यूटी थी और जीएसटी 12 परसेंट। इस हिसाब से तो किसी तरह का टैक्स नहीं बढ़ा है।
सामान पर जीएसटी के रेट कम हुए हैं लेकिन सामान तो सस्ता हुआ ही नहीं, दाल खरीदने जाते हैं, घर का सामान लेते हैं तो पहले जितना खर्चा होता था उतना ही अब होता है तो कंज्यूमर क्या करे?
-एसडीएम के पास कंप्लेंट करे। दूसरा वो एंटी प्रोफिटिंग अथॉरिटी में कंप्लेंट करे। कंज्यूमर फोरम भी जा सकते हैं।