विदेशों तक फैसला है राम रहीम का साम्राज्य

विदेशों तक फैसला है राम रहीम का साम्राज्य

राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा में चढ़ावा बैन ​था, फिर भी करोड़ों की प्रॉपर्टी है। आखिर कैसे यह प्रॉपर्टी बनी और इसके लिए क्या तरीका अपनाया गया। दरअसल, डेरा सच्चा सौदा ने कभी चढ़ावा नहीं लिया, लेकिन लेने के दूसरे रास्ते अपनाए हुए थे। परमार्थ और वेलफेयर फंड के नाम पर लोग खूब धनराशि जमा करवाया करते थे।
डेरा हित में प्राण गंवाने वाले श्रद्धालु को शहीद का दर्जा दिया जाता था और डेरा की ओर से उसके परिवार की आर्थिक मदद की जाती थी तथा उसके परिवार की हरसंभव मदद की जिम्मेदारी उस क्षेत्र के भंगीदास को सौंपी जाती थी। डेरा सच्चा सौदा में सदैव बात कही जाती थी कि डेरा कभी चंदा नहीं लेता और न ही गुल्लक रखता है। पहले डेरा की खेती की कमाई से ही लंगर आदि का खर्च निकलता था पर बाद में जैसे-जैसे श्रद्धालुओं भीड़ बढ़ती गई डेरा का दस्तूर भी बदलता गया।

डेरे में दो खाते हुआ करते थे एक खाता का नाम परमार्थ तो दूसरे खाते का नाम शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फंड होता था। जिस किसी को डेरा के लिए जो भी धनराशि देनी होती थी वह इन्हीं खातों में जमा करवाई जाती थी। जिसकी बाकायदा रसीद और साथ में प्रसाद तक दिया जाता थी। जब भी डेरा में कोई शादी होती तो दोनों परिवार के लोग इन्हीं दोनों में से किसी एक खाते में अच्छी खासी धनराशि जमा करवाते थे साथ ही परिवार के लोग देहदान, नेत्रदान, अंगदान के शपथ पत्र भरा करते थे।
शिक्षण संस्थानों में भी खूब आता था पैसा

गुरमीत राम रहीम
डेरा के हर शिक्षण संस्थान में बच्चों से परमार्थ के नाम पर हर माह कुछ न कुछ धनराशि निकलवाई जाती थी। डेरा में जो भी श्रद्धालु आता था वह शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फंड में कुछ न कुछ जमा करवाकर जाता था। डेरा की व्यावसायिक गतिविधियों जो भी भागीदार होता वह भी अच्छी खासी रकम जमा करवाता था। इसके बाद में डेरा की ओर से एक और मुहिम शुरू की गई। एक रुपये रोजाना।

यानि परिवार का हर सदस्य रोजाना परमार्थ के नाम पर एक रुपया निकालेगा और एक माह बाद उसे जमा करवा देगा। श्रद्धालु इस धनरशि को नामचर्चा घर में जाकर जमा करवाते थे। डेरा की ओर से एक व्यवस्था और की गई कि इस धनराशि को किसी भूखे को खाना खिलाने और उसे कपडे़ पहनाने पर खर्च किया जा सकता है। भिखारी को भीख देने की सख्त मनाही थी।

उधर, डेरा प्रमुख की ओर से जब भी रूबरू नाइट होती तो उसका अलग से शुल्क लिया जाता था। कुछ राशि तो लाखों में होती थी। डेरा की खातिर जिस श्रद्धालु की मौत हो जाती या वह आत्महत्या कर लेता था तो उसे शहीद का दर्जा दिया जाता था। उस व्यक्ति के परिवार की डेरा की ओर से हर संभव मदद की जाती थी।

विदेशों तक फैसला है राम रहीम का साम्राज्य

गौरतलब है कि राम रहीम का साम्राज्य भारत से लेकर अमेरिका तक फैला हुआ है। राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1948 में शाह मस्ताना महाराज ने की थी। शाह मस्ताना महाराज के बाद डेरा के गद्दीनशीन शाह सतनाम महाराज बनाए गए। उन्होंने 1990 में अपने अनुयायी संत गुरमीत सिंह को गद्दी सौंप दी थी। डेरा सच्चा सौदा आश्रम करीब 68 सालों से लगातार चल रहा है।

इसके बाद में संत गुरमीत का नाम संत गुरमीत राम रहीम सिंह इंसां कर दिया गया था। जानकारी के मुताबिक इसका हेड क्वार्टर हरियाणा में हैं। पूरी दुनिया में डेरा आश्रम के 250 ब्रांच हैं। इतना ही नहीं डेरा तीन विशेष अस्पताल और एक इंटरनेशनल आई बैंक भी चलाता है। ऐसा भी बताया जाता है कि डेरा का साम्राज्य देश से लेकर विदेशों तक फैला है। अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और तो और यूएई तक इसके आश्रम और अनुयायी हैं।

जानकारी के मुताबिक दुनियाभर में इस डेरे के करीब 5 करोड़ अनुयायी बताए जाते हैं। इनमें से करीब 25 लाख अनुयायी तो सिर्फ हरियाणा में हैं। राम रहीम अब तक 5 फिल्में बना चुका है। साल 2106 में उनकी आई फिल्म ‘एमएसजी द वॉरियर लॉयन हार्ट’ थी। इस फिल्म ने 5.75 करोंड़ रुपए कमाए थे। इसी साल फरवरी में आई इस फिल्म को राम रहीम ने पाकिस्तान के खिलाफ हुई सर्जिकल स्ट्राइक पर बनाया था. इसे ‘द वॉरियर लॉयन हार्ट’ का दूसरा पार्ट बताया गया।

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