एसवाईएल की मरम्मत तक के लिए भी कोई फंड जारी नहीं किया

एसवाईएल की मरम्मत तक के लिए भी कोई फंड जारी नहीं किया

एसवाईएल की मरम्मत तक के लिए भी कोई फंड जारी नहीं किया

एसवाईएल नहर के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद हरियाणा और पंजाब आमने-सामने हैं। इस मुद्दे पर दोनों अपनी-अपनी बात को आगे रखकर बढ़ रहे हैं। हरियाणा को पानी मिलेगा या नहीं? यह फिलहाल बाद की बात है।
इस विवाद के चलते पंजाब ने अब इस प्रोजेक्ट को अपनी ओर से पूरी तरह से बंद कर दिया है। पंजाब सिंचाई विभाग ने न केवल इस प्रोजेक्ट की फाइल बंद कर दी है, बल्कि कई वर्षों से जर्जर हो चुकी एसवाईएल की मरम्मत तक के लिए भी कोई फंड जारी नहीं किया है। इतना ही नहीं, नवंबर 2016 में तो पंजाब में तत्कालीन बादल सरकार ने एसवाईएल को अपनी ओर से डी-नोटिफाई भी कर दिया था।

पंजाब सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर पुष्पिंदर पाल गर्ग के अनुसार पंजाब की ओर से एसवाईएल का प्रोजेक्ट बंद हो चुका है। सिंचाई विभाग में भी इस परियोजना की फाइल बंद हो गई है। नहर भी डी-नोटिफाई हो चुकीहै। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले केबाद यदि इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत कोई हलचल होती है, तो सरकार को आगामी फैसला लेना है। उनके अनुसार पंजाब कैबिनेट तो इस मसले पर ‘टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट’ पहले ही रद्द कर चुका है।
राइपेरियन लॉ का पक्षधर है पंजाब

सतलुज यमुना लिंक नहरPC: फाइल फोटो
राइपेरियन लॉ का पक्षधर है पंजाब
पंजाब सिंचाई विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर हरविंदर सिंह कहते हैं कि पंजाब केपास पर्याप्त पानी नहीं है और अब परिस्थितियां भी पहले जैसी नहीं हैं। उनके अनुसार पंजाब अब राइपेरियन वॉटर राइट्स के पक्ष में है, जिसके तहत किसी भी नदी व नहर का पानी पर पहले उस प्रांत व हिस्से का हक है, जहां से वह गुजर रही है। यदि पानी पर्याप्त होता है, तो आगे दिया जा सकता, लेकिन पंजाब में आज अपने प्रांत के लिए पानी पर्याप्त नहीं है।

हरियाणा को नहर के पानी की पूरी आस
पंजाब ने भले ही एसवाईएल प्रोजेक्ट को अपनी ओर से फाइलों में दफन कर दिया है, लेकिन हरियाणा को आज भी नहर के पानी की पूरी आस है। हालांकि, इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, लेकिन फैसले के बावजूद पंजाब ने इस मामले में न तो नहर का निर्माण शुरू करवाया और न ही हरियाणा को एसवाईएल का पानी देने की कोई कवायद शुरू की।

हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आर्डर एग्जीक्यूट करवाने की अपील डाली हुई है। इस अपील में भी चूंकि हरियाणा का हक पूरी तरह मजबूत दिख रहा है। हरियाणा सिंचाई विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ बीरेंद्र सिंह ने कहा कि पंजाब का रवैया चाहे कुछ भी रहे, हरियाणा का पक्ष इस मामले में पूरी तरह से मजबूत है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के पक्ष में ही है। उनके अनुसार हरियाणा सरकार के मंत्रीगण, अफसरगण, अधिवक्तागण सभी मिलकर अपना पक्ष मजबूती से उठा रहे हैं। उम्मीद है हरियाणा को एसवाईएल का पानी जरूर मिलेगा।

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