करीब-साढ़े-तीन-घंटे-चला-परीक्षण

करीब साढ़े तीन घंटे चला परीक्षण

करीब साढ़े तीन घंटे चला परीक्षण

करीब 30 हफ्ते की प्रेग्नेंट दस साल की बच्ची का बुधवार को पीजीआई के डाक्टरों ने परीक्षण किया। बच्ची की जांच करने के बाद आठ सदस्यीय कमेटी ने चंडीगढ़ लीगल सर्विस अथॉरिटी को अपनी सीलबंद रिपोर्ट सौंप दी है। पीजीआई की रिपोर्ट शुक्रवार को सुप्रीमकोर्ट में पेश होनी है। रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीमकोर्ट तय करेगा कि बच्ची का गर्भपात करना है या नहीं। सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर ही पीजीआई ने आठ सीनियर डाक्टरों की एक कमेटी बनाई गई थी।
करीब साढ़े तीन घंटे चला परीक्षण
चंडीगढ़ लीगल सर्विस अथॉरिटी की टीम बच्ची व उसके पेरेंट्स को करीब साढ़े नौ बजे पीजीआई लेकर पहुंचे। उसके बाद उसका परीक्षण शुरू हुआ। कमेटी के सदस्य भी नेहरू हास्पिटल पहुंचे और वहां पर गहनता से सभी पहलुओं पर विचार हुआ। उसके बाद करीब एक बजे बच्ची को वापस भेज दिया गया। इसी दौरान पीजीआई ने अपनी रिपोर्ट तैयार की और लीगल सेल अथॉरिटी को सौंप दी।

‘गर्भपात सुरक्षित नहीं, गर्भावस्था को जारी रखना मुनासिब’
पीजीआई के सूत्रों का दावा है कि इस तरह के केस में बच्ची का गर्भपात करना किसी भी लिहाज से सुरक्षित नहीं है। गर्भावस्था को जारी रखना ही मुनासिब रहेगा। क्योंकि समय ज्यादा हो गया है। भ्रूण ने प्रीमिच्योर बेबी की शक्ल ले ली है।

Rate this post

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*