मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में पंजाब कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें मंत्रियों ने सीएम की एक सलाह मानी और कई फैसलों पर सहमति बनी। सभी मंत्रियों ने स्वेच्छा से अपना आयकर खुद भरने का एलान कर दिया, जोकि अब तक सरकारी खजाने से अदा किया जा रहा था। यह घोषणा बुधवार को पंजाब मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री की तरफ से निजी तौर पर की गई अपील के बाद की गई।
विधायकों के आयकर के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकों द्वारा आयकर स्वयं अदा करने संबंधी अंतिम फैसला विधायकों की फीडबैक मिलने के बाद लिया जाएगा। इसके साथ ही कैबिनेट की बैठक में सरकार कई बड़े फैसले लेते हुए, सूबे को पर्यटन के विश्व मानचित्र में उभारने के लिए नई पर्यटन नीति को मंजूरी दे दी, वहीं भारत-पाक सीमा से सटे जिलों के लिए अध्यापकों का एक बार्डर कैडर बनाने को मंजूरी दे दी।
हालांकि इसके लिए सरकार एडवोकेट जनरल से उन कानूनी पहलुओं की जानकारी भी लेगी, जिसके तहत बार्डर कैडर के लिए संबंधित जिलों से ही अध्यापकों की भर्ती की जा सके। वर्ष 2018-19 के रबी सीजन के लिए सरकार ने परिवहन और श्रम एवं ढुलाई के मामले में दी पंजाब फूडग्रेन ट्रांसपोर्टेशन पालिसी 2018-19 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत फसल की समय पर खरीद व ढुलाई के साथ-साथ इस काम में लगे श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा भी हो सकेगी।
बैठक में एक अन्य फैसला लेते हुए राज्य सरकार ने खनन और भू-विज्ञान को अलग विभाग का दर्जा देने का फैसला लिया है। अब तक यह दोनों उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के अधीन थे। इस फैसले की खास बात यह भी है कि दो अलग विभाग बनाए जाने के बावजूद सरकारी खजाने पर बोझ नहीं पड़ेगा और नए विभागों के लिए मुलाजिम जलस्त्रोत विभाग से लिए जाएंगे। इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने ‘योजनाबंदी विभाग’ का नाम बदलकर ‘आर्थिक नीति और योजनाबंदी विभाग’ रखने का फैसला लिया है।
अब पंजाब राज्य योजनाबंदी बोर्ड का नाम ‘आर्थिक नीति और योजनाबंदी बोर्ड’ होगा। राज्य सरकार ने राजस्व जुटाने की अपनी कोशिशों के तहत पंजाब म्यूनिसिपल आउटडोर एडवरटाईज़मैंट पालिसी -2018 को भी मंजूरी दे दी है, जिससे सालाना 200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। इस नीति के तहत जहाँ विज्ञापन के लिए स्थान निर्धारित की जाएंगे, वही विज्ञापन की (कंटैंट) रूपरेखा को मंज़ूरी देने संबंधी भी नियम होंगे।
पंजाब सचिवालय में दोपहर बाद हुई कैबिनेट की बैठक में, मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में राज्य के मंत्रियों और विधायकों सहित चुने हुए प्रतिनिधियों को दिए गए उस सुझाव पर कि उन्हें अपना आयकर खुद अदा करना चाहिए, के जवाब में समूचे मंत्रिमंडल ने खुद आयकर भरने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय आयकर सरकार द्वारा अदा किया जा रहा है, जिसका भार सरकारी खजाने पर पड़ता।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि देश में शायद पंजाब ही एक ऐसा राज्य है जहां सभी मंत्रियों और विधायकों का आयकर सरकार की तरफ से भरे जाने की प्रणाली है। उन्होंने बताया कि इसके लिए सरकार द्वारा 11.08 करोड़ रुपए का टैक्स अदा किया जा रहा है। इसमें से विधायकों के लिए 10.72 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में दिए जाते हैं जबकि बाकी पैसे मंत्रियों के लिए अदा किए जाते हैं।