मिसालः जीरो पीरियड में पत्तों से खाद बनाते हैं ये सरकारी स्कूल के बच्चे

स्कूली बच्चे इन दिनों पढ़ाई के साथ-साथ पत्तों से खाद भी बना रहे हैं। इन पत्तों को वे रोजाना इकट्ठा करते हैं और फिर से इससे खाद बनाते हैं। यह खूबसूरत प्रयास गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-46 डी के सोहंजना क्लब की ओर से किया जा रहा है।

इसको स्कूली बच्चे केमिस्ट्री लेक्चरर बलजिंदर कौर के निर्देशन में तैयार कर रहे हैं। अपनी इसी खासियत के चलते क्लब सोहंजना को यूटी के पर्यावरण विभाग की ओर से बेस्ट ईको क्लब अवार्ड एवं नेशनल ग्रीन कोपस अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।

सोहंजना क्लब की इंचार्ज एवं स्कूल लेक्चरर बलजिंदर कौर ने बताया कि उनके स्कूल का यह क्लब सभी की जान है। वे गार्डन की देखरेख एवं पौधे लगाने तक सभी मिलजुल कर करते हैं। सभी विद्यार्थियों की ओर से एक साथ मिलकर जीरो पीरियड में खाद तैयार की जाती है। इसे छठीं से दसवीं तक करीब 200 विद्यार्थी तैयार कर रहे हैं।

लोगों को देते हैं निशुल्क खाद

लेक्चरर ने बताया कि स्कूल के सोहंजना क्लब में एक गहरा गड्ढा खोदा गया है। इसमें सूखे पत्तों को इकट्ठा किया जाता है। इसके बाद ऊपर से सूखी खाद डाली जाती है। जब बारिश होती है तो यह खाद तीन से चार महीने तक बनकर तैयार हो जाती है।

लोगों को देते हैं निशुल्क खाद

स्कूल के गार्डन में तैयार होने वाली इस खाद को लोगों के बीच वितरित किया जाएगा। यहीं नहीं क्लब में लगे हर्बल पौधों को भी इच्छुक लोगों को दिया जाएगा। अप्रैल एवं मई में खाद एवं पौधे को यहां दिया जाता है।

यहां सिखाया भी जाता है खाद बनाना

स्कूल लेक्चरर ने बताया कि उनके स्कूल में खाद को बनाना भी जाता है। इच्छुक लोग और स्कूल भी उनके पास आकर खाद बनाना सीखते हैं। वे अभी तक चार क्विंटल खाद बना चुके हैं।

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