Commonwealth Games 2018

एक मिनट में ‘दंगल’ जीत ओलंपिक के ‘सुल्तान’ ने रचा इतिहास, डाइट ऐसी जो हैरान कर देगी

ओलंपिक के ‘सुल्तान’ ने एक मिनट में ‘दंगल’ जीतकर ऐसा इतिहास रच दिया कि दुनिया देखती ही रह गई। पहलवान की डाइट के बारे में जानिए।

दो ओलम्पिक मुकाबलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी सुशील कुमार ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में भी झंडा गाड़ दिया है। 74 किलोग्राम फ्री स्टाइल रैसलिंग में सुशील ने बोथा जोहानेस को महज एक मिनट में ही धूल चटा दी। सुशील खेल के पहले सेकेंड से ही दक्षिण अफ्रीकी पहलवान पर हावी दिख रहे थे। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में बोथा को जमीन पर ला दिया। इससे सुशील को चार प्वाइंट मिले।

इसके बाद भी सुशील नहीं रुके और उन्होंने फिर दो और प्वाइंट बटोर लिए। इसके बाद बोथा के पास संभलने का मौका ही नहीं बचा। सुशील ने एक और दांव मारकर अपनी लीड 10-0 कर ली और गोल्ड मेडल जीत लिया। सुशील ने इसी के साथ कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी गोल्ड की हैट्रिक भी पूरी कर ली है। सुशील 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक, 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुके हैं।

सुशील कुमार की डाइट की बात करें तो वह पूरी तरह से शाकाहार रहे हैं। सुशील सुबह प्रैक्टिस से पहले या फिर बीच में 150 से 200 ग्राम मक्खन लेते हैं। ज्यादा गर्मी हो तो ग्लूकोज़ भी ले ले लेते हैं। 200 ग्राम बादाम गिरी। दूध सुबह और शाम मिलाकर 2 से ढाई किलो के करीब। दोपहर में तीन रोटी और मक्खन, सलाद और सीज़नल फल लेते हैं। सुबह शाम दो-दो ग्लास फलों का जूस।

अपने वजन पर कंट्रोल रखने के लिए अपनी डायट पर बहुत ध्यान रखना पड़ता है। सुबह डेढ़ घंटे और शाम को तीन घंटे प्रैक्टिस करते हैं। सप्ताह में तीन दिन फुटबॉल, बॉस्केटबॉल, वॉलिबॉल या हैंडबॉल खेलते हैं। मां के हाथ का बनाया हुआ मक्खन तो उन्हें बहुत पसंद है। फिल्म देखने का उन्हें शौक नहीं हैं। 26 मई 1983 को दिल्ली के छोटे से गांव बपरौला में पैदा सुशील तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं। पिता बस ड्राइवर और मां साधारण गृहणी।

छोटा भाई संदीप भी पहलवान था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण संदीप ने पहलवानी छोड़ दी। सुशील ने बचपन से ही दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी। सुशील की कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही एक कॉलेज से की हुई है। उनकी बचपन से ट्रेनिंग दिल्ली में ही उनके गुरु पहलवान सतपाल के पास हुई है।

1998 में पहलवान सुशील पहली बार जब देश की नजर में आए जब 15 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार वर्ल्ड कैडेट के खेलों में गोल्ड मैडल जीता। 2008 के बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम इंटरनेशनल लेवल पर रोशन किया। लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता। हरियाणा सरकार और रेलवे बोर्ड कई बार उन्हें सम्मानित कर चुका है। सुशील कुमार की शादी उन्ही के गुरू पहलवान सतपाल की बेटी सावी से हुई।

सुशील कुमार के बारे में एक खास बात ये है कि वो पूरी तरह से हिन्दू परम्परा का पालन करते है। अगर उन्हें किसी ऐसे ब्रांड के विज्ञापनों के लिए ऑफर किया जाता है जो शराब या नशे से जुड़े हो तो वो ठुकरा देते हैं। 50 लाख के ऑफर को भी ठुकरा दिया था जो कि शराब से जुड़ा एक बड़ा ब्रांड था। सुशील कुमार को 2005 में अर्जुन अवार्ड, 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न और 2011 में पद्मश्री से नवाजा जा चुका है।

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