दोस्तों और रिश्तेदारों के खुलवाते थे खाते

दोस्तों और रिश्तेदारों के खुलवाते थे खाते

दोस्तों और रिश्तेदारों के खुलवाते थे खाते

अगर कोई बैंक में खाता खुलवाने को कहे तो ऐसे लोगों से बचकर रहे। वरना आपके साथ भी वही होगा, जो इन सभी के साथ हुआ। मामला पंजाब के लुधियाना का है। देश के 18 बड़े बैंकों के एटीएम कार्ड के जरिए बैंकों और लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगा चुके पांच आरोपियों को महानगर की पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों को हैबोवाल स्थित हंबड़ा रोड पर नाकाबंदी के दौरान पकड़ा।
पुलिस का दावा है कि आरोपियों ने एटीएम के जरिए बैंकों और लोगों को एक करोड़ से ऊपर का चूना लगाया है। पुलिस ने सभी आरोपियों को रविवार को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को रिमांड पर भेज दिया गया है।

आरोपियों के कब्जे से अलग अलग बैंकों के 641 एटीएम कार्ड, 166 चेक बुक, 117 पास बुक, प्रेस के तीन आई कार्ड, तीन कारें, लाइसेंसी रिवाल्वर, सात कारतूस, पांच खोल, तीन लाख रुपये की नगदी के अलावा आठ अलग अलग कंपनियों के मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।

पुलिस ने चंद्र नगर स्थित प्रीतम नगर की सिटी इनक्लेव में रहने वाले पंकज कुमार, न्यू चंद्र नगर के रहने वाले जोनी गोयल, हैबोवाल कलां स्थित शक्ति विहार के सतीश अग्रवाल, हैबोवाल दुर्गा पुरी निवासी विजय गर्ग उर्फ विक्की और जस्सियां रोड स्थित लक्ष्मी नगर के किंग पार्क निवासी राजेश कुमार उर्फ राकेश के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
दोस्तों और रिश्तेदारों के खुलवाते थे खाते

पुलिस कमिश्नर आरएन ढोके ने कहा कि सभी आरोपी पिछले काफी लंबे समय से धंधा कर रहे थे। यह लोग पहले अपने किसी दोस्त, रिश्तेदार या फिर किसी पहचान वाले को बुला कर उन्हें विश्वास दिलाते और बैंक में खाता खुलवा लेते थे। खाता खुलवाने के बाद आरोपियों को बैंक से एटीएम कार्ड, चेक बुक और पास बुक मिलती थी।

वह खाताधारक से सारे कागजात ले लेते थे। अगर कोई खाताधारक अपना एटीएम कार्ड नहीं देना चाहते थे तो वह उसका पिन कार्ड लेकर जाली एटीएम बना लेते और उसके बाद सारे काम को अंजाम दिया जाता। आरोपी इन खातों में खुद ही पैसे जमा करवाते और खुद ही निकलवाते थे।

खाताधारकों से एटीएम लेने के बाद आरोपी बाहरी राज्यों में चले जाते थे। आरोपी दिल्ली, पश्चिम बंगाल और मुंबई में जाकर एटीएम से पैसे निकलवाते थे। आरोपी ज्यादातर पैसे उसी एटीएम से निकलवाते थे जहां कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं होता था। आरोपी जब एटीएम स्वैप कर पैसे भरते तो पैसे निकलते निकलते ही एटीएम मशीन को पीछे से बंद कर देते थे।

इससे पैसे तो बाहर आ जाते, लेकिन बैंक के रिकार्ड में इसकी एंट्री नहीं होती थी। उसके बाद आरोपी बैंक के कस्टमर केयर में शिकायत दर्ज करवा देते थे कि एटीएम जाम होने के कारण उनके पैसे खाते में से कट गए हैं, लेकिन पैसे उन्हें नहीं मिले। इसके बाद बैंक एक सप्ताह या फिर दस दिन के अंदर खाताधारक के खाते में पैसे डाल देते थे।

पुलिस कमिश्नर ने कहा कि यह खाताधारक को सब कुछ बताकर खाता खुलवाते और उनसे एटीएम ले लेते। उसके बाद खुद ही पैसे जमा करवाकर खुद ही निकालते। खाताधारक को इस काम के लिए दस से पंद्रह प्रतिशत का हिस्सा दिया जाता था। इस कारण वह भी कोई शिकायत या फिर किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लेता था। आरोपियों ने बैंकों से धोखाधड़ी कर लूटे हुए पैसों से प्लाट लिए और अपने अपने घरों की मरम्मत करवाकर नई गाड़ियां खरीदीं।

पुलिस कमिश्नर ने कहा कि आरोपी पंजाब से बाहर जाकर ही पैसे निकालते थे। सभी आरोपी 2012 से काम कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि आरोपियों के साथ इस काम में कई ओर लोग भी शामिल हैं। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।

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