पुलिस वालों ने उठाई 2 लड़कियां, ये निकली सच्चाई

पुलिस वालों ने उठाई 2 लड़कियां, ये निकली सच्चाई

पुलिस वालों ने उठाई 2 लड़कियां, ये निकली सच्चाई

पुलिस वालों ने नाबालिग लड़कियों को उठा लिया, 24 घंटे तक परिजन परेशान होते रहे, बाद में ऐसी सच्चाई से सामना हुआ जिसके बाद पुलिस के भी पैरों तले जमीन निकल गई। सोहाना पुलिस ने गुरतेज सिंह गोगी हत्याकांड के मुख्य आरोपी रोहित तक पहुंचने के लिए गांव शाहीमाजरा से दो नाबालिग लड़कियां वीरवार को उठाई थी, लेकिन जब लड़कियां 24 घंटे तक बीत जाने के बाद नहीं आई तो परिवार इसकी शिकायत लेकर फेज-1 थाने गए। इसके बाद थाना फेज-1 की पुलिस ने इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग देखी तो उन्होंने लड़कियों को लेकर गए जवानों को पहचान लिया।

इसके बाद उन्होंने पेरेंट्स को सोहाना थाने भेजा। इसके बाद उन्हें सारी सच्चाई पता चली। हालांकि पुलिस ने लड़कियों के बयान के बाद उन्हें छोड़ दिया। वहीं लड़कियों के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें बिना बताए लड़कियों को उठाया था। मुश्किल ये खड़ी हो गई कि जब यह कार्रवाई की गई तो लेडी पुलिस भी साथ नहीं थी।

जानकारी के मुताबिक चंडीगढ़ निवासी गुरतेज सिंह गोगी 13 अप्रैल को नयागांव से सोहाना आया था। इसके बाद वह अपनी कार समेत गायब हो गया था। फिर उसकी 28 अप्रैल को पटियाला घन्नौर नहर से शव मिला था। पुलिस ने मृतक के परिजनों की शिकायत पर रोहित समेत कुछ लोगों पर 302 के तहत केस दर्ज किया था। केस दर्ज होने के बाद से ही आरोपी फरार हो गया था।

जब पुलिस ने आरोपी के फोन कॉल डिटेल खंगाली तो उसमें साफ हो गया कि आरोपी शाहीमाजरा निवासी एक युवती के संपर्क में था। अक्सर उससे फोन पर बात होती थी। आरोपी के बारे में पड़ताल करने के लिए पुलिस ने लड़कियों को उठाया था। थाने से पता चला है कि लड़कियों के बयान ले लिए गए हैं। साथ ही उन्हें कहा गया कि जब भी उनकी जरूरत पड़ेगी। उन्हें थाने में हाजिर होना पड़ेगा।
बिना वर्दी आए थे, सफेद कार में ले गए

सीसीटीवी देखने पर चला सोहाना पुलिस की कार्रवाई पता PC: अमर उजाला
जब पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी देखे तो पता चला है कि वीरवार दोपहर ढाई बजे पुलिस वाले बिना वर्दी पहने में आए थे। इसके बाद वह लड़कियों को अपने साथ सफेद कार में बिठाकर ले गए थे।

पूरी रात परिजन खाते रहे सड़कों पर धक्के :
परिजनों का कहना है कि वो पूरी रात परेशान होकर ढूंढने के लिए सड़कों पर धक्के खाते रहे। रिश्तेदारों को फोन भी किए, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इलाके की पीसीआर को मिले, तो उनका कहना था कि सुबह थाने आकर शिकायत लिखवा देना। परिजनों का कहना है कि पुलिस को कार्रवाई ही करनी थी तो फेज-1 थाना पुलिस को तो जानकारी देनी चाहिए थी, या उन्हें सूचित कर देते। जिससे यह परेशानी न उठानी पड़ती।

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