Bravery Award 2018

बहादुर बेटाः इस लड़के ने ऐसे बचाई 15 बच्चों की जान, PM मोदी रह गए हैरान

हम आपको मिला रहे हैं उस बहादुर लड़के से, जिसने अपनी जान पर खेलकर 15 बच्चों की जान बचाई थी और वो भी ऐसे, जानकर प्रधानमंत्री मोदी तक हैरान रह गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश भर से 18 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्‍मानित किया। तीन बच्चों को मरणोपरांत यह सम्‍मान दिया गया। इन्हीं में से एक है, पंजाब के अमृतसर के गांव मुहावा का रहने वाला करणबीर सिंह। जिसने 16 साल की उम्र में 15 जिंदगियां बचाकर मिसाल कायम की और वीरता अवार्ड से सम्मानित हुआ।

20 सितंबर 2016 को भारत-पाक सीमा से सटे गांव मुहावा में एमकेडी पब्लिक स्कूल की बस डिफेंस ड्रेन में गिरने के बाद 15 बच्चों को सकुशल बस से निकालने वाले करणवीर को भारत सरकार संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया गया। करणबीर को बहादुरी पुरस्कार मिलने की खुशी गांव से लेकर स्कूल तक है।

लेकिन करणवीर कहता है कि उसे दुख है कि कई बच्चों को वह बचा नहीं बचा पाया। करणबीर ने दिल्ली में इंडियन आर्मी चीफ विपन रावत द्वारा सम्मानित होने के बाद फोन पर अमर उजाला से कहा कि गणतंत्र दिवस के उसे संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। मां कुलविंदर कौर और पिता दविंदर सिंह भी दिल्ली में सरकारी मेहमान के तौर पर उनके साथ होंगे।

बहन को बचाने से पहले बाकी बच्चों को बचाया

करणवीर मुहावा के पास ही प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है। पढ़ाई में अव्वल और संस्कारों में ढला करणवीर सिंह को लेकर स्कूल के मैनेजर परमजीत सिंह छाबड़ा बताते हैं कि करण सचमुच वीर है। उसने 15 बच्चों की जान बचाते हुए तनिक ख्याल नहीं आया कि बस में उसकी बहन जैसमीन भी है। उसने जैसमीन को बचाने से पहले बाकी बच्चों का हाथ पकड़ा, जो उसकी इंसानियत के लिए हम सभी का सैल्यूट है।

पुलिस अफसर बनने की तम्मना: करणवीर सिंह

करणवीर सिंह कहता है कि उसे पुलिस अफसर बनना है। वो बताता है कि जब हादसा हुआ तो उसे कुछ समझ नहीं आया लेकिन उसने ठान लिया था कि वो जितने बच्चों को बचा सकता है बचाएगा। मन में कोई बहादुरी पुरस्कार लेने का ख्याल नहीं था। उसके सामने केवल जिंदगी और मौत दिख रही थी। गम है कि बाकी बच्चों को नहीं बचा सका। इस हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई थी।

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