अब फलों और सब्जियों पर किसी तरह के स्टिकर नहीं लगाए जा सकेंगे। फूड सेफ्टी कमिश्नर ने सभी फूड सेफ्टी टीमों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। वे फल, सब्जी कारोबारियों को जागरूक करेंगे कि स्टिकर वाले पदार्थों की बिक्री-खरीद न की जाए। दरअसल ये मुहिम पंजाब में चलाई जा रही है। कमिश्नर काहन सिंह पन्नू ने बताया कि फल-सब्जियों की गुणवत्ता, कीमत और अन्य जानकारी प्रदान करने के मकसद से स्टिकर चिपकाने का रुझान पूरी दुनिया में है।
ये स्टिकर सेब, कीवी, आम, केला, संतरा, नाशपाती, रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की बाहरी सतह पर सीधे तौर पर चिपकाए जाते हैं। पंजाब में देखा गया है कि व्यापारी अपने पदार्थ को अच्छी गुणवत्ता का दिखाने या कमी को छिपाने के लिए स्टिकर लगाते हैं। टेस्टेड ओके, गुड क्वालिटी या पदार्थ का नाम इन स्टिकरों पर लिखा होता है। इन स्टिकरों की कोई उपयोगिता नहीं होती।
स्टिकर को चिपकाने के लिए कई किस्म के पदार्थ इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनकी गुणवत्ता के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। यह सामने आया है कि चिपकाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सरफैक्टेंट्स जैसे पदार्थों में कई जहरीली चीजें मौजूद हैं। लोग स्टिकर उतार कर इनका प्रयोग कर लेते हैं, लेकिन कुछ अंश पदार्थों में घर कर जाते हैं। खुले बाजार में बिकते फल, सब्जियों में सूरज की तपिश और रोशनी हानिकारक केमिकल का संचार बढ़ाने में सहायक सिद्ध होती है।
ऐेसे पदार्थों की बिक्री रोकने और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के बारे में व्यापारियों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं। एक्ट के मुताबिक कोई कारोबारी असुरक्षित खाद्य पदार्थों की बिक्री, वितरण या जमाखोरी नहीं कर सकता। व्यापारियों को यह जानकारी देने को कहा गया है कि अगर सुपर मार्केट की तरह ग्रेड, कीमत, बारकोड संबंधी जानकारी देने को स्टिकर लगाना जरूरी हो तो पहले एक पतली फिल्म लगाकर उस पर स्टिकर लगाया जाए। स्टिकर की छपाई के लिए प्रयोग की गई स्याही फूड ग्रेड की होनी चाहिए।