आरोप है कि गमाडा के चीफ इंजीनियर रहते

आरोप है कि गमाडा के चीफ इंजीनियर रहते

आरोप है कि गमाडा के चीफ इंजीनियर रहते

पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने मंडी बोर्ड के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर सुरिंदरपाल सिंह के खिलाफ कुछ कॉन्स्ट्रक्शन कंपनियों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाकर भारी मात्रा में काला धन अर्जित करने के आरोप में मामला दर्ज किया है।
आरोप है कि गमाडा के चीफ इंजीनियर रहते उन्होंने इस कारनामे को अंजाम दिया। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों और अपनी बोगस कंपनियों के खातों में काला धन जमा करवाकर सफेद करने की कोशिश भी की। विजिलेंस टीम ने शुक्रवार को अदालती आदेश हासिल करने के बाद चंडीगढ़, लुधियाना और मोहाली में उनके नौ ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की।

यह जानकारी विजिलेंस ब्यूरो के मुख्य निदेशक बीके उप्पल ने दी। उन्होंने बताया कि इस मामले में ब्यूरो ने मेसर्स एक ओंकार बिल्डर्स एंड कॉन्ट्रैक्टर्स प्रा. लि. के गुरमेज सिंह व मोहित कुमार और मेसर्स राजिंदर एंड कंपनी प्रा. लि. के गुरिंदरपाल सिंह टिंकू, ओआसिस टेक्नोलॉजी प्रा. लि. के अमित गर्ग और सुरिंदरपाल सिंह से संबंधित अन्य फर्मों और सहयोगी कंपनियों के प्रमोटरों-निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। उप्पल ने बताया कि सुरिंदरपाल सिंह और अन्य के खिलाफ विजिलेंस जांच के आधार पर की गई छानबीन के बाद मोहाली स्थित विजिलेंस फ्लाइंग स्कवायड-1 पुलिस स्टेशन में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

जूनियर अधिकारियों और ठेकेदारों पर बना रखा था दबाव
उप्पल ने बताया कि उच्चाधिकारियों से अच्छे तालमेल के चलते सुरिंदरपाल ने अपने जूनियर अधिकारियों व ठेकेदारों पर दबाव बना रखा था, जिसके सहारे उनसे विकास परियोजनाओं में करोड़ों रुपये का घोटाला कर डाला। जांच के दौरान इस बात का भी खुलासा हुआ कि सुरिंदरपाल ने अपनी पसंदीदा कॉन्स्ट्रक्शन कंपनी को अतिरिक्त लाभ उठाने का भरपूर मौका दिया और मेसर्स एक ओंकार बिल्डर्स एंड कांट्रैक्टर्स प्रा. लि. को पांच करोड़ रुपये की वार्षिक टेंडर लिमिट से आगे जाकर ठेके अलॉट किए। राज्य सरकार द्वारा लागू, टेंडरों की नीलामी में पारदर्शिता के नियम के दरकिनार करते हुए सुरिंदरपाल ने उच्चाधिकारियों की अनुमति के बगैर भी स्टैंडर्ड बिड डाक्यूमेंट (एसबीडी) का उपयोग करते हुए एक ओंकार बिल्डर्स को कई बड़े टेंडर अलॉट कर दिए। उप्पल ने बताया कि सुरिंदरपाल अपने अधीनस्थ डिविजनल इंजीनियरों को एसबीडी के तहत अपनी बनाई नीतियां लागू करने के लिए दबाव भी डालता रहे।

मां-पत्नी के नाम पर चला रहे थे चार कंपनियां
ब्यूरो के मुख्य निदेशक ने बताया कि यह पूरा मामला विकास परियोजनाओं में करोड़ों रुपये के घोटाले का है, जिसमें सुरिंदरपाल अप्रत्यक्ष तौर पर अपनी पत्नी और मां के नाम पर चार कंपनियां चलाते हुए काला धन उन कंपनियों में एडजस्ट कर रहे थे। इसके अलावा सुरिंदरपाल की एक ओंकार बिल्डर्स फर्म में भी अप्रत्यक्ष तौर पर हिस्सेदारी थी। मुख्य निदेशक ने बताया कि सुरिंदरपाल टेंडरों की शर्तों में बदलाव करके कॉन्ट्रैक्टरों को लाभ पहुंचाते और फिर अपने अलग-अलग माध्यमों के जरिए उन कॉन्ट्रैक्टरों से हिस्सा भी वसूलते थे।

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