कहते हैं कि अगर इंसान के मन में कुछ बनने का जज्बा हों तो वह कुछ भी बन सकता

कहते हैं कि अगर इंसान के मन में कुछ बनने का जज्बा हों तो वह कुछ भी बन सकता

कहते हैं कि अगर इंसान के मन में कुछ बनने का जज्बा हों तो वह कुछ भी बन सकता

कहते हैं कि अगर इंसान के मन में कुछ बनने का जज्बा हों तो वह कुछ भी बन सकता है, उसके लिए कुछ भी बनना मुश्किल बात नहीं। यही कर दिखाया है दिव्यांग सचिन शर्मा ने जिसकी दोनो आंखों मे बचपन से ही रोशनी नहीं है। सचिन शर्मा पुत्र जुगल किशोर निवासी सिंघोवाल ने यूजीसी परीक्षा 70 फीसदी अंकों से पास की। अब उसे 30 हजार रुपये प्रति माह स्कालरशिप मिलेगी। सचिन की ख्वाहिश लेक्चरार बनकर बच्चों को संगीत की शिक्षा देने की है।
अपने घर में बातचीत के दौरान बताया कि बचपन से ही वह दोनों आंखों की रोशनी से महरूम है। वह तीन बहन-भाई है। बहन सबसे बड़ी है, जबकि भाई छोटा है। सचिन के अनुसार उसके पिता सरकारी अध्यापक है और माता घरेलू महिला है। सचिन ने बताया कि सबसे पहले उसने सातवीं तक ब्लाइंड स्कूल अमृतसर में प्राथमिक शिक्षा हासिल की और बीए तक की पढ़ाई पटियाला से ग्रहण की।

एमए पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से किया। उसे 4 दिसंबर 2016 को गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल कांसल चंडीगढ़ में अध्यापक की। नौकरी मिल गई। उस नौकरी से वह संतुष्ट नहीं था, जिस कारण नौकरी से इस्तीफा दे देगा।

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