ट्रांसपोर्ट विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाते हुए डीटीओ

ट्रांसपोर्ट विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाते हुए डीटीओ

ट्रांसपोर्ट विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाते हुए डीटीओ

16 मार्च को कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनकी कैबिनेट ने शपथ ली थी। उसके बाद हुई पहली कैबिनेट बैठक में ही 120 फैसलों पर मुहर लगाई। जोकि कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से संबंधित था। इनमें सबसे अहम था वीआईपी कल्चर खत्म करना, वीआईपी वाहनों से लाल बत्ती हटाना।
बाद में उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को भी यह मॉडल अपनाना पड़ा। इसी बैठक में ट्रांसपोर्ट विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाते हुए डीटीओ सिस्टम खत्म करने का फैसला किया गया। वादा पूरा करते हुए पिछली सरकार के कार्यकाल में दर्ज झूठे परचों की जांच को आयोग गठित करने का फैसला किया गया।

पंजाब में दस साल विपक्ष में बैठने के बाद सत्ता में आई कांग्रेस के लिए आगे का सफर आसान नहीं है। कांग्रेस पंजाब में पूरी मजबूती के साथ देश भर में मिसाल खड़ी कर जीती है, लेकिन सरकार बनने से पहले किए गए वादों को पूरा करने में सरकार को एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा। कैप्टन के खास सिपहसलार मनप्रीत बादल ने काफी हद तक कांग्रेस के घोषणापत्र को पहले बजट में ही मूर्त रूप देने का प्रयास किया है, लेकिन आने वाला समय कठिन है। सीमित संसाधनों में पंजाब किस तरह से विकास की गाड़ी आगे बढ़ाएगा यह चुनौती है।
यह है जुदा अंदाज

पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादलPC: अमर उजाला
कर्ज में डूबे सूबे केे लिए किसान आत्महत्या और नशा जैसे मुद्दे चुनौती हैं। फिलहाल विपक्ष शांत है, लेकिन आने वाले समय में विपक्ष भी आक्रामक होगा। हालांकि, कैप्टन अमरिंदर सिंह का अपना अलग अंदाज है। यही जुदा अंदाज उनकी जीत का कारण बना है।

अपने दम पर पंजाब का किला फतह करने वाले कैप्टन ने आलाकमान को क्षेत्रीय क्षत्रपों पर भरोसा जताने के लिए नजीर पेश की है। यही वजह है कि कैप्टन के मंत्रिमंडल विस्तार में आलाकमान का बहुत ज्यादा दखल नजर नहीं आया। नवजोत सिंह सिद्धू और चरनजीत सिंह सिद्धृ को पहले विस्तार में जगह मिली है, लेकिन राहुल गांधी की यूथ ब्रिगेड से राजा वडिंग को मंत्री बनाने की जो चर्चा थी, वह नहीं हुआ।

100 दिन बीते दूसरे विस्तार का इंतजार
पंजाब में दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार होना बाकी है। सरकार के 100 दिन पूरे होने के बाद दूसरे विस्तार की नींव रखी जा सकती है।

यह है जुदा अंदाज
पंजाब का यह पहला ऐसा चुनाव रहा, जिसमें आलाकमान को न चाहते हुए भी कैप्टन को प्रदेश अध्यक्ष बनाना पड़ा। टिकट वितरण से लेकर मंत्रिमंडल विस्तार तक अपनी चलाने के बाद भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए नवजोत सिंह सिद्धू के डिप्टी सीएम बनने की राह में रोड़ा भी कैप्टन अमरिंदर ने अटकाया है।

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