पीजीआई के न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

पीजीआई के न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

पीजीआई के न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

बैंगलूरू में आयोजित कांफ्रेंस में हिस्सा लेने गए पीजीआई के न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपनी बाडी डोनेट करने का शपथ पत्र भी भर रखा था। डा. कंचन कुमार मुखर्जी की हार्ट अटैक आने से मौत हो गई है। प्रोफेसर मुखर्जी की मौत की सूचना से हर कोई हैरान है। 52 वर्षीय मुखर्जी चंडीगढ़ में पत्नी और बेटी के साथ रहते थे।
पीजीआई डायरेक्टर प्रोफेसर जगत राम के मुताबिक डा. मुखर्जी एक मुक्कमल सर्जन, बेहतरीन टीचर व साइंटिस्ट थे। इसके साथ ही वे एक बेहतरीन इंसान भी थे। वे एक पब्लिक स्पीकर, लेखक व महान दार्शनिक थे। उनके 100 से ज्यादा रिसर्च पेपर इंटरनेशनल व नेशनल जरनल में प्रकाशित हो चुके हैं। वे ट्यूमर के जाने-माने सर्जन थे। उनके असमय जाने से न सिर्फ संस्थान बल्कि पूरे देश को हानि हुई है। उनकी इस कमी को भर पाना काफी मुश्किल होगा।

छह दिसंबर 1965 को जन्मे प्रोफेसर मुखर्जी ने डाक्टरी की पढ़ाई पुणे स्थित आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कालेज की थी। पीजीआई से एमएस की पढ़ाई की। न्यूरोसर्जरी की विशेषता उन्होंने लखनऊ स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट कालेज से हासिल की। सेक्टर 32 स्थित मेडिकल कालेज में कुछ दिनों के लिए वह लेक्चरार भी नियुक्त रहे। उसके बाद साल 2000 में पीजीआई में उन्होंने फेकल्टी के रूप में नौकरी की।

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