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यौन शोषण की वजह बच्चों को ‘गुड टच-बैड टच’ की जानकारी न होना

चंडीगढ़ में इन दिनों स्कूली छात्रों के प्रति अपराध बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते आए दिन यौन शोषण व छेड़छाड़ के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं सवाल उठता है कि कहीं इन घटनाओं का कारण गुड टच-बैड टच की जानकारी के अभाव तो नहीं।

सी.बी.एस.ई. निर्देशों के अनुसार स्कूलों में छात्रों को गुड टच-बैड टच की जानकारी देनी अनिवार्य है ताकि छात्रों को छेड़छाड़ की घटनाओं के प्रति जागरूक किया जा सके व यौन शोषण जैसे अपराधों पर लगाम लगाई जा सके। प्राप्त जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ के कई स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों को गुड टच-बैड टच की कोई जानकारी ही नहीं है।

‘पंजाब केसरी’ टीम द्वारा शहर के कुछ सरकारी स्कूलों के छात्रों से जब गुड टच-बैड टच के बारे में पूछा गया तो बहुत से मिलेंगे ऐसे मिले जिन्हें गुड टच-बैड टच की जानकारी ही नहीं है। ऐसे कहना गलत नहीं होगा कि इस अहम जानकारी के अभाव में बच्चे यौन शोषण की घटनाओं का शिकार बन रहे हैं। हालांकि कुछ बच्चो ने बताया कि उन्हें गुड टच-बैड टच की जानकारी मिली है और कोमल नामक शॉर्ट फिल्म के जरिए यह जानकारी उन्हें दी गई है।

गौरतलब है कि कुछ माह पहले एक मामा द्वारा दस वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना हुई थी और हाल ही में शहर की एक 13 वर्षीय छात्रा से दुष्कर्म हुआ जिसके चलते वह गर्भवती हो गई है। दोनों ही छात्राएं शहर के सरकारी स्कूलों की छात्रांए थी।

शिक्षकों की कमी और काऊंसलर्स की सैलरी बनी रोड़ा :

स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों में गुड टच-बैड टच की जानकारी के पीछे मुख्य कारण कहीं ना कहीं शिक्षकों की कमी और काऊंसलर्स की कमी है। क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते ही स्कूल प्रिंसिपल्स द्वारा काउसंलर्स पर दबाव बना उन्हें क्लासिज लेने के लिए मजबूर कर दिया जाता है । वहीं काऊंसलर्स का वेतन समय पर उन्हें नहीं मिल पाना भी एक कारण हो सकता है। क्योंकि यदि वेतन समय पर नहीं मिलेगा और इतना बोझ रहेगा तो वह चाहकर भी किसी भी छात्र काउंसलिंग नहीं करेगें।

काऊंसलर्स विभिन्न विषयों की क्लासिज लेने में व्यस्त तो कैसे जानें बच्चे :

चंडीगढ़ में कुल 115 सरकारी स्कूल हैं, लेकिन स्कूलों में छात्रों को गुड टच- बैड टच की जानकारी देने वाले काऊंसलर्स की संख्या मात्र 87 है। इन में से भी अघिकतर काऊंसलर्स ऐसे हैं जिनसे काऊंसलर का काम ना लेकर शिक्षकों का ही काम लिया जा रहा है। जब इस बारे में काऊंसलर्स से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि दिन में पांच-पांच क्लासिज को विभिन्न विषय पढ़ाने पड़ते हैं ऐसे में वह कब छात्रों को गुड टच और बैड टच बताएं।

काऊंसलर्स के अनुसार सप्ताह में एक बार नर्सरी से लेकर 12वीं कक्षा तक के छात्रों की काऊंसलिंग की जाए तो जो किसी भी तरह संभव नहीं है। क्योंकि नियमों के अनुसार स्कूलों में 250 बच्चों पर एक काऊंसलर होना चाहिए, जबकि चंडीगढ़ के हर स्कूल में एक ही काऊंसलर तैनात है। चाहे स्कूल में 3000 से 3500 छात्र ही क्यों न हों।

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