Municipal Corporation Will Not Allow Opening Bar In Community Centers

निगम सामुदायिक केंद्रों में बार खोलने की अनुमति नहीं देगा पर रैस्तरां खोलने का प्रावधान किया जा सकता है। चंडीगढ़ निगम सदन की बुधवार को हुई बैठक में सामुदायिक केंद्रों व जंजघरों के प्रबंधन संबंधी नीति व दिशा-निर्देशों के संबंध में रखे गए प्रस्ताव पर चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया।

हालांकि निगम की वित्त एवं अनुबंध समिति में सामुदायिक केंद्रों में बार व रैस्तरां खोलने की व्यवस्था करने का एजैंडा पारित किया गया था पर सदन में अधिकतर पार्षद इसके विरोध में दिखे। यहां तक कि भाजपा पार्षद भी इस पर एकमत नहीं थे।

भाजपा के अरुण सूद जहां सामुदायिक केंद्रों में रैस्तरां के साथ-साथ बार की सुविधा देने की वकालत कर रहे थे, वहीं पूर्व मेयर देवेश मोदगिल, कांग्रेस के पार्षद व भाजपा के अनेक पार्षद यहां तक कि महापौर ने भी इसका समर्थन नहीं किया। बाद में सूद ने स्पष्ट किया कि वह बार काऊंटर की बात कर रहे हैं जहां जरूरी नहीं कि शराब ही दी जाए।

केंद्रों के संचालन के लिए बनेगी कमेटी

सदन में निर्णय लिया गया कि केंद्रों के संचालन के लिए जो कमेटी बनाई जाएगी, उसके चुनाव नहीं होंगे। प्रत्येक कमेटी का पैटर्न मेयर होगा व इसमें तीन अधिकारी निगमायुक्त की ओर से मनोनीत होंगे व कमेटी का सचिव व कोषाध्यक्ष भी निगम की ओर से मनोनीत होगा।

एरिया पार्षद कमेटी का चेयरमैन होगा व उस एरिया में रहने वाले मनोनीत पार्षद इन कमेटियों के उपचेयरमैन होंगे। इसके अतिरिक्त कमेटी का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एरिया काऊंसलर द्वारा चुने जाएंगे। कार्यकारिणी में एक सदस्य एस.सी. वर्ग से भी होगा जिसे मिला कर कार्यकारिणी के कुल सदस्य 7 होंगे।

पहले सविधाएं उपलब्ध करवाओ, फीस का निर्णय बाद में लेंगे : निगम कमिश्नर

सामुदायिक केंद्रों में आयोजित होने वाले शादी आदि अन्य समारोहों में शराब के सेवन की अनुमति होगी पर उसके लिए लाइसैंस आबकारी विभाग देगा। बैठक में सामुदायिक केंद्रों के लिए नीति तय करने पर हुई चर्चा के दौरान निगमायुक्त इस बात पर सहमत नहीं दिखे कि सदस्यों से वार्षिक फीस लेने के बाद उन्हें जिम, लाइब्रेरी आदि जैसी सुविधाएं नि:शुल्क दी जाए।

हालांकि पार्षदों का कहना था कि वह सुविधाएं देने के लालच में ही लोगों को सामुदायिक केंद्रों का सदस्य बनाते हैं। इस पर जब सभी एकमत नहीं हो पाए तो आयुक्त का कहना था कि पहले सभी सामुदायिक केंद्रों में यह सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं उसके बाद निर्णय लिया जाए।

महिलाएं भी बन सकती हैं सदस्य

नई नीति के तहत अब महिलाएं भी सामुदायिक केंद्रों की सदस्य बन सकती हैं। इससे पहले पति के साथ पत्नी व 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सदस्यता दी जाती थी पर पत्नी को मतदान का अधिकार नहीं था। अब महिलाएं चाहें तो स्वयं भी सदस्य बन सकती हैं।

16 वर्ष व इससे अधिक आयु के बच्चों को सदस्यता प्रदान करने का निर्णय पहले ही निगम ले चुका है। निगम के नवनिर्मित सामुदायिक भवनों की छतों पर रैस्तरां खोले जा सकेंगे व इनमें कर्मचारी भर्ती करने की नीति का निर्धारण भी किया गया। इन्हें सबलेट भी किया जा सकता है।

पार्षदों ने सदन का समय काफी बर्बाद किया। दोपहर 2 बजे निर्धारित की  गई बैठक में आलम यह रहा कि 5 बजे के बाद जाकर एजैंडा पर चर्चा शुरू हो सका। इस दौरान आवश्यक तर्क वितर्क चलता रहा। काफी बातें बीच में उलझ गई। मिनट्स की पुष्टि और जीरो ऑवर में वक्त खराब हुआ। वहीं 7 बजे तक भी एजैंडा पारित नहीं हो सका।

आजीवन सदस्यता नहीं दी जाएगी

सामुदायिक केंद्रों में आजीवन सदस्यता नहीं दी जाएगी। वाॢषक फीस 1000 रुपए होगी व जिम, लाइबे्ररी आदि की सुविधाओं के लिए अलग से 300 रुपए अदा करने होंगे। सामुदायिक केंद्र प्रात: 8 से सायं 8 बजे तक वरिष्ठ नागरिकों के लिए खुले रहेंगे। वह यहां लाइब्रेरी की सुविधा ले सकते हैं व कैरम आदि भी खेल सकते हैं।

इसके लिए वरिष्ठ नागरिक को सामुदायिक केंद्र का सदस्य होना जरूरी नहीं। नए दिशा-निर्देशों में शहरी क्षेत्रों के सामुदायिक केंद्रों के बड़े हॉल बुकिंग का दरें 9000 रुपए व 18 प्रतिशत जी.एस.टी., छोटे हॉल के लिए 5000 रुपए व 18 प्रतिशत जी.एस.टी. तय की गई हैं।.

निगम ने सामुदायिक केंद्रों में एक दिन में दो अल्पकाल बुकिंग करने का भी निर्णय लिया है। इसके लिए चार घंटे के 2000 रुपए व 18 प्रतिशत जी.एस.टी. अदा करना होगा।

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