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तेजाब ने उसकी आंखों की रोशनी छीन ली

तेजाब ने उसकी आंखों की रोशनी छीन ली

तेजाब ने 13 साल की उम्र में ही राजवंत के हंसते खेलते जीवन को ग्रहण लगा दिया। पिछले 10 साल से वह अंधेरी दुनिया में रह रही है। बसंत की बहार, सावन के झूलों के बारे में वह केवल सुन ही सकती है, उनको देख नहीं सकती। एक अप्रैल 2007 की शाम मुंह पर पड़े तेजाब ने उसकी आंखों की रोशनी छीन ली। पिछले दस साल में रोशनी पाने के लिए उसने लुधियाना से लेकर हैदराबाद तक दौड़ लगाई, लेकिन अभी तक उसकी दुनिया में रंग नहीं लौट पाए। इसके बावजूद 23 वर्षीय राजवंत और उसके परिवार को उम्मीद है कि वह एक दिन फिर से देख पाएगी। जीवन के अंधेरे को वह शिक्षा के ज्ञान से दूर करने का प्रयास कर रही है। राजवंत चंडीगढ़ रोड जमालपुर स्थित दृष्टिहीन बच्चों के स्कूल में दसवीं की शिक्षा हासिल कर रही है। ताजपुर रोड स्थित बाबा जीवन सिंह नगर में रहने वाली राजवंत कौर (23) ने बताया कि वह शिवा धागा फैक्टरी में काम करती थी। उसके साथ उसकी दो सहेलियां संदीप कौर और सोनिया काम करती थीं। 01 अप्रैल 2007 की शाम को वह अपनी दोनों सहेलियों के साथ फैक्टरी से घर आ रही थी। उसकी सहेली संदीप कौर का किसी युवक के साथ कोई विवाद था। नाराज युवक ने उस पर तेजाब फेंका। इस हमले में संदीप कौर और राजवंत के मुंह बुरी तरह जल गया। वहीं दूसरी सहेली सोनिया का हाथ बुरी तरह झुलस गया। आरोपी वहां से फरार हो गया। राजवंत कौर ने बताया कि उस समय ऐसा लगा कि किसी ने उसकी आंखों में पिघला हुआ लोहा उडे़ल दिया हो और वह मांस को जलाता हुआ अंदर ही जा रहा हो। उस जलन से बचने का कोई उपाय नहीं था। आसपास उसे कुछ नहीं दिखाई दे रहा था। सुनाई दे रही थीं तो बस चीखें। राजवंत के पिता जोगिंदर सिंह बताते हैं कि हादसे से कुछ दिन बाद संदीप की मौत हो गई, जबकि राजवंत का मुंह पूरी तरह से झुलस गया। काफी समय तक राजवंत कौर सीएमसी अस्पताल में दाखिल रही। सरकार की तरफ से कुछ मदद भी हुई। इस मामले में आरोपी को उम्रकैद की सजा हो चुकी है, अभी वह जेल में बंद है। तेजाब से बिगड़ा चेहरा, आंखों की गई रोशनी
तेजाब आंखों में जाने के कारण राजवंत की आंखों की रोशनी चली गई। अब उसे दो से चार प्रतिशत तक ही नजर आता है। परिजनों ने बताया कि सीएमसी अस्पताल के डाक्टर विजय ओबेद उसका इलाज कर रहे हैं। आंखों की रोशनी के लिए वे पंजाब के सभी अस्पतालों के अलावा पीजीआई तक भी गए। तेजाब कांड की पीड़िता लक्ष्मी ने भी उनकी मदद की। वे राजवंत की आंखें दिखाने के लिए उसे हैदराबाद तक ले गई। जो डाक्टर उसका इलाज कर रहे हैं, उनका कहना है कि अभी उसकी आंखों की पुतली ठीक नहीं है। जब कुछ ठीक होगी तो वह खुद ही उसका आपरेशन कर देंगे। प्लास्टिक सर्जरी में भी अभी काफी समय लग जाएगा। राजवंत कौर ने कहा कि उनके साथ हादसा हुए दस वर्ष हो चुके हैं। उसकी सहेली मारी गई, जबकि उसका चेहरा पूरी तरह से बिगड़ गया और आंखों की रोशनी चली गई। वह कहती हैं कि पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुना दी, लेकिन यह सजा काफी कम है। वह आरोपी पर तेजाब डालकर उसे उस दर्द का एहसास करवाना चाहती है जो उसने दस साल तक सहा है। सरकार की तरफ से राजवंत कौर को दो लाख रुपये की मदद आई थी तो उन्होंने गांव साहबाणा में राजवंत कौर के लिए 80 गज का प्लाट ले लिया। पैसे कम पड़ने पर उसी प्लाट पर उन्होंने साठ हजार रुपये का बैंक से लोन लिया। बीमा कंपनी की तरफ से तीन हजार रुपये महीना आने वाले पैसों में से ही उसी प्लाट की किश्तें दी जा रही हैं। जोगिंदर सिंह कहते हैं कि उनके तीन बेटे और तीन बेटियां हैं। दो बेटियों और एक बेटे की शादी हो चुकी है। इसके अलावा राजवंत की भी शादी करनी है। दो जगहों पर राजवंत कौर की शादी की बात चलाई थी, लेकिन बात नहीं बन सकी। जोगिंदर सिंह ने कहा कि वह एक छोटी सी सिक्योरिटी एजेंसी चलाते हैं। उनकी कमाई भी कम है। सीएमसी अस्पताल में इलाज के दौरान जो पैसे थे उन्होंने राजवंत के इलाज पर लगा दिए। उसके बाद सरकार की तरफ से भी कुछ मदद मिली और लोग भी उनकी मदद के लिए आगे आए। तीन साल पहले उन्होंने आपरेशन कराया था। डाक्टर लगातार चेकअप के लिए बुलाते हैं इलाज चल रहा है।

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