फिर से जिंदा की जा सकती है लेक
प्रशासन का फोकस सिर्फ सुखना लेक पर है, बाकी लेकों को लावारिस छोड़ दिया गया है। करीब नौ साल पहले, जब चंडीगढ़ प्रशासक के पद पर एसएफ रोड्रिक्स कार्यरत थे, उस दौरान दड़वा के पास सुखना चो से लगते एक लेक का निर्माण किया गया। एक बार पानी भी आया। उसके बाद उसकी किसी ने सुध नहीं ली। अब वह जगह जंगल में बदल गई है। यहां असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया। लेक का नामो-निशान मिट चुका है। ये सब चंडीगढ़ प्रशासन की लापरवाही से हुआ है। यदि वक्त पर ध्यान दिया जाता तो लेक शायद जिंदा रहती
12-15 लाख रुपये खर्च किए गए थे
श्मशानघाट के सामने बनाई गई लेक के निर्माण में करीब 12-15 लाख रुपये खर्च किए गए। उस समय आइडिया यह था कि बरसात के पानी से लेक को भरा जाएगा। जब पानी खत्म होगा तो सुखना चौक के पानी को लेक में डाला जाएगा। लेकिन अफसर बदले तो लेक को भी भूल गए। लेक पर मिट्टी और झाड़ियां हैं। मौजूदा अफसरों को इस बारे में बिल्कुल भी पता नहीं है। उन्होंने काफी फाइलें खंगाली। उसके बाद सिर्फ ये पता चला कि हां लेक बनी थी। उसके बाद क्या हुआ। कुछ भी पता नहीं है।
फिर से जिंदा की जा सकती है लेक
पर्यावरण से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि इस लेक को दोबारा से जिंदा किया जा सकता है। लेक के पास सुखना चो निकलती है। सुखना में सीवरेज और इंडस्ट्रियल एरिया का वेस्ट आता है। इसके अलावा सुखना लेक में जब पानी ओवरफ्लो होता है तो उसका पानी भी चो में छोड़ा जाता है। यदि इस पानी को ट्रीट कर लेक में डाला जाए तो लेक को जिंदा किया जा सकता। दूसरी तरफ लेक की गहराई को और बढ़ाना होगा। अभी इसकी गहराई मात्रा डेढ़ से दो मीटर है। बरसात के पानी से भी इसे भरा जा सकता है।