सरकार के इस फैसले से सूबे के उन किसानों को राहत मिली
पंजाब की कांग्रेस सरकार अपने चुनाव मेनिफेस्टो में जनता के किए हर वादे को पूरा करने को तत्पर है। इसी के तहत हाल ही में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सहकारी विभाग से किसानों से कुर्की करने का अधिकार वापस ले लिया था।
सरकार के इस फैसले से सूबे के उन किसानों को राहत मिली, जिन्होंने सहकारी बैंकों से कर्ज ले रखा है और वे उसे चुका नहीं पा रहे, लेकिन सरकार के इस फैसले से जहां सहकारी बैंकों के लिए कर्ज वसूली का रास्ता बंद हो गया है, वहीं सरकारी क्षेत्र के बैंक पंजाब के किसानों को कर्ज देने से हाथ खींच सकते हैं। इस बात की चिंता प्रदेश के वित्त विभाग ने भी जताई है, जिसके जवाब में सोमवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फैसला वापस लेने से साफ तौर पर इनकार करते कहा है कि कांग्रेस जनता से किए चुनावी वादे पूरे करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनकी सरकार कर्जा कुर्की खत्म, फसल की पूरी रकम के वादे से पीछे नहीं हटेगी और सहकारी विभाग को कर्ज की भरपाई के लिए अन्य तरीकों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चाहे जो हो जाए, पंजाब कोआपरेटिव सोसायटी एक्ट 1961 की धारा 67ए में निहित कुर्की की धारा को हटाना होगा। हालांकि, मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग की इस बात पर सहमति जताई कि सहकारी विभाग को सहकारी सोसाइटियों व बैंकों से किसानों द्वारा लिए गए कर्ज की भरपाई के लिए अपने दम पर फैसले और उपाय करने चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हर विभाग की जिम्मेवारी है कि वह सूबे के किसानों को कर्ज के बोझ और कुर्की के डर से मुक्ति दिलाने में सरकार के प्रयासों का समर्थन करे, क्योंकि कर्ज के बोझ और कुर्की के डर से कई किसान अपना जीवन समाप्त करने जैसा घातक कदम उठाने को मजबूर हो चुके हैं।