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सिनेमाघरों में राष्ट्रगान: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से आदेश बदलने की अपील की, आज सुनवाई

अपने रुख में बदलाव लाते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाया कि सिनेमाघरों में किसी फिल्म की शुरूआत से पहले राष्ट्रगान बजाने को अनिवार्य बनाने के उसके पहले के आदेश में बदलाव किया जाना चाहिए.

अपने रुख में बदलाव लाते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आदेश बदलने की अपील की है. सिनेमाघरों में किसी फिल्म की शुरूआत से पहले राष्ट्रगान बजाने को अनिवार्य बनाने के उसके पहले के आदेश में बदलाव किया जाना चाहिए. जिसकी आज(9 जनवरी) को सुनवाई होनी है कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाया जाए या नहीं. केंद्र ने कहा कि एक अंतर-मंत्रालयीन समिति बनाई गयी है क्योंकि उन परिस्थितियों और अवसरों को वर्णित करने वाले दिशानिर्देश तय करने के लिए गहन विचार-विमर्श जरूरी हैं जब राष्ट्रगान बजाया जाना चाहिए.सरकार ने कहा कि शीर्ष अदालत तब तक पूर्व की यथास्थिति बहाल करने पर विचार कर सकती है यानी 30 नवंबर 2016 को इस अदालत द्वारा सुनाये गये आदेश से पहले की स्थिति को बहाल कर सकती है .

इस आदेश में सभी सिनेमाघरों में फीचर फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किया गया था.सरकार ने कहा कि उसने गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (सीमा प्रबंधन) की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयीन समिति बनाने का फैसला किया है जिसमें रक्षा, विदेश, संस्कृति, महिला और बाल विकास तथा संसदीय कार्य मंत्रालय समेति विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधि होंगे.

केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि इसमें सूचना और प्रसारण तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालयों, विधि मामलों के विभाग, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग तथा विकलांग जन अधिकारिता विभाग के प्रतिनिधि भी होंगे. सरकार ने कहा कि समिति को राष्ट्रगान से जुड़े अनेक विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श करना होगा और कई मंत्रालयों के साथ गहन मंथन करना होगा. समिति इसके गठन से छह महीने के अंदर अपनी सिफारिशें देगी.

अपने रुख में बदलाव लाते हुए केंद्र सरकार ने सोमवार (8 जनवरी) को उच्चतम न्यायालय को सुझाया कि सिनेमाघरों में किसी फिल्म की शुरुआत से पहले राष्ट्रगान बजाने को अनिवार्य बनाने के उसके पहले के आदेश में बदलाव किया जाना चाहिए. केंद्र ने कहा कि एक अंतर-मंत्रालयीन समिति बनाई गयी है क्योंकि उन परिस्थितियों और अवसरों को वर्णित करने वाले दिशानिर्देश तय करने के लिए गहन विचार-विमर्श जरूरी हैं जब राष्ट्रगान बजाया जाना चाहिए.

सरकार ने कहा कि शीर्ष अदालत तब तक पूर्व की यथास्थिति बहाल करने पर विचार कर सकती है यानी 30 नवंबर 2016 को इस अदालत द्वारा सुनाये गये आदेश से पहले की स्थिति को बहाल कर सकती है. इस आदेश में सभी सिनेमाघरों में फीचर फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किया गया था.

सरकार ने कहा कि उसने गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (सीमा प्रबंधन) की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयीन समिति बनाने का फैसला किया है जिसमें रक्षा, विदेश, संस्कृति, महिला और बाल विकास तथा संसदीय कार्य मंत्रालय समेति विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधि होंगे. केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि इसमें सूचना और प्रसारण तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालयों, विधि मामलों के विभाग, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग तथा विकलांग जन अधिकारिता विभाग के प्रतिनिधि भी होंगे. सरकार ने कहा कि समिति को राष्ट्रगान से जुड़े अनेक विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श करना होगा और कई मंत्रालयों के साथ गहन मंथन करना होगा. समिति इसके गठन से छह महीने के अंदर अपनी सिफारिशें देगी.

सरकार अपने पहले के रुख से पलटी

सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाया जाए या नहीं.. इस मुद्दे पर सरकार ने एक पैनल बनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2016 में एक आदेश पारित करके ये कहा था कि सिनेमा हॉल में फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजना अनिवार्य है. इसके बाद अदालत ने केन्द्र सरकार से कहा कि वो अपने फैसले में संशोधन करना चाहती है. इसके बाद सरकार ने 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट फाइल किया है. इस एफिडेविट में सरकार ने लिखा है कि उन्होंने इस मामले में एक पैनल का गठन किया है. जो 6 महीनों में अपनी रिपोर्ट देगा. इसके अलावा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को ये भी सुझाव दिया है कि वो चाहे तो नवंबर 2016 से पहले की यथास्थिति बरकरार कर दे. इसका मतलब ये हुआ कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने चाहा तो सिनेमा हॉल्स में अब राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं होगा. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 9 जनवरी को सुनवाई करेगा.

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